Surya Grahan Kya Hota Hai

What Is Solar Eclipse ?

सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।

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सूर्य ग्रहण क्या है?

कब लगता है सूर्यग्रहण ?

जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में हों तो उस अवस्था में सूर्य को चंद्र ढक लेता है जिस सूर्य का प्रकाश या तो मध्यम पड़ जाता है या फिर अंधेरा छाने लगता है इसी को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

कितने प्रकार का होता है सूर्य ग्रहण ?

पूर्ण सूर्य ग्रहण –

चंद्र जब सूर्य को पूर्ण रूप से ढक देता है और चारो दिशाओ में अंधेरा व्याप्त हो जाये तो इसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहा जायेगा।

खंडग्रास या आंशिक सूर्य ग्रहण – जब चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से न ढ़क पाये तो तो इस अवस्था को खंड ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी के अधिकांश हिस्सों में अक्सर खंड सूर्यग्रहण ही देखने को मिलता है।

वलयाकार सूर्य ग्रहण –

वहीं यदि चांद सूरज को इस प्रकार ढके की सूर्य वलयाकार दिखाई दे यानि बीच में से ढका हुआ और उसके किनारों से रोशनी का छल्ला बनता हुआ दिखाई दे तो इस प्रकार के ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

खगोलशास्त्र के अनुसार ग्रहण –

खगोल शास्त्रियों नें गणित से निश्चित किया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चन्द्रग्रहण होते हैं। एक वर्ष में 5 सूर्यग्रहण तथा 2 चन्द्रग्रहण तक हो सकते हैं। किन्तु एक वर्ष में 2 सूर्यग्रहण तो होने ही चाहिए। हाँ, यदि किसी वर्ष 2 ही ग्रहण हुए तो वो दोनो ही सूर्यग्रहण होंगे। यद्यपि वर्षभर में 7 ग्रहण तक संभाव्य हैं, तथापि 4 से अधिक ग्रहण बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। प्रत्येक ग्रहण 18 वर्ष 11 दिन बीत जाने पर पुन: होता है। किन्तु वह अपने पहले के स्थान में ही हो यह निश्चित नहीं हैं, क्योंकि सम्पात बिन्दु निरन्तर चल रहे हैं।

संवत् 2079 कार्तिक कृष्ण अमावस्या 25 अक्टूबर 2022 मंगलवार को यह खण्डग्रास (आशिंक सूर्य ग्रहण) ग्रहण उत्तर-पूर्व भारत के कुछ हिस्सों (आईजोल, डिब्रूगढ़, इम्फाल ईटानगर, कोहिमा, शिवसागर, सिलचर, तामेलोंग) आदि स्थानों को छोड़ शेष भारत में दिखाई देगा। ग्रहण का अंत (मोक्ष) भारत में सुर्यास्त हो जाने के कारण दिखाई नहीं देगा। इस ग्रहण का सूतक 25 अक्टूबर 2022 के सूर्योदय से पहले रात्रि 02:25 बजे से आरम्भ हो जायेगा। सम्पूर्ण भारत (पूर्वी भारत को छोड़कर) यह ग्रहण ग्रस्तास्त होगा। इसलिये ग्रहण का पर्वकाल सूर्यास्त के साथ ही समाप्त हो जायेगा।

ग्रहण प्रारम्भ दिन दोप. 2 बजकर 25 मिनट से।

ग्रहण मध्य (परमग्रास) सायं 4 बजकर 30 मिनट पर।

ग्रहण मोक्ष (समाप्त)  सायं 6 बजकर 35 मिनट पर

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