Hindi School Prarthana

सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

ॐ सहनाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवाव है।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषाव है।

असतो मा सदगमय ॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।

स्कूल प्रार्थना गीत माँ सरस्वती वरदान दो

माँ सरस्वती वरदान दो
माँ सरस्वती वरदान दो,
मुझको नवल उत्थान दो।
यह विश्व ही परिवार हो,
सब के लिए सम प्यार हो।
आदर्श, लक्ष्य महान हो।
माँ सरस्वती………………………।

मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो,
मेरा महान चरित्र हो।
विद्या विनय वरदान दो।
माँ सरस्वती…………………………।

माँ शारदे हँसासिनी,
वागीश वीणा वादिनी।
मुझको अगम स्वर ज्ञान दो।
माँ सरस्वती, वरदान दो।
मुझको नवल उत्थान दो।
उत्थान दो।
उत्थान दो…।

प्रार्थना

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ
हे शारदे माँ..

तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे

हम है अकेले, हम है अधूरे
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ

मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी

हम भी तो समझे, हम भी तो जाने
विद्या का हमको, अधिकार दे माँ

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ

तू श्वेतवर्णी, कमल पे विराजे
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे

मन से हमारे मिटाके अँधेरे
हमको उजालों का संसार दे माँ

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
अज्ञानता से हमें तारदे माँ

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ

तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो

तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो
तुम ही बंधू , सखा तुम्ही हो
तुम्ही हो साथी तुम ही सहारे
कोई न अपना सिवाए तुम्हारे

तुम्ही हो नैया तुम्ही खिवैया
तुम ही हो बंधू सखा तुम्ही हो …
जो खिल सके न वो फूल हम हैं
तुम्हारे चरणों की धुल हम हैं

दया की दृष्टि सदा ही रखना
तुम ही हो बंधू सखा तुम ही हो…......

इतनी शक्ति हमें

इतनी शक्ति हमें देगा दाता
मन का विश्वास, कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना।

दूर अज्ञान के हों अँधेरे,
तू हमें ज्ञान की रौशनी दे।

हर बुराई से बचते रहें हम,
चोट जितनी बड़ी जिन्दगी दे॥
बैर हो न किसी का किसी से,
भावना मन में बदले की हो ना,
हम चले नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना॥

हम न सोचें हमें क्या मिला है,
हम ये सोचें किया क्‍या है अर्पण
फूल खुशियों के बाँटे सभी में,
सबका जीवन भी बन जाये मथुबन।
अपनी करुणा का जल तू बहा दे,
करदे पावन हर एक मन का कोना,
हम चले नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोई भूल हो ना॥

ए मालिक तेरे बंदे हम

ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हों! हमारे करमा
नेकी पर चलें और बदी से ढले,
ताकि हँसते हुए निकले दम
ऐ मालिक…………

ये अँधेरा घना छा रहा
तेरा इंसान घबरा रहा।
हो रहा बेखबर, कुछ न आता नजर
सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रोशनी में वो दम
जो अमावस को कर दे पूनम
नेकी पर चलें और बदी से ढले
वाकि हँसते हुए निकले दम।
ऐ मालिक ………

जब जुल्मों का हो सामना
तब तू ही हमें थामना।

वो बुराई करें हम भलाई करें
नहीं बदलेगी ये भावना।
बढ़ उठे प्यार का हर कदम
और मिटे बैर का ये भरम।
नेकी पर चलें और बदी से ढले
गाकि हँसते हुए निकले दम।
ऐ मालिक ....

माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं

माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं।
सौगन्ध, शपथ लेकर हम सब अपना निश्चय दुहराते हैं।।

शिक्षा मानव की पूँजी है, व्यक्तित्व इसी से बनता है।
विद्या मन्दिर में आकर हम सब जीवन सफल बनाते हैं।।

माँ-बाप, सखा परिवार सभी , संसार चक्र के पोषक हैं।
हम बालक नत-मस्तक होकर उनका अहसान जताते हैं। ।

माँ सरस्वती…
शिक्षक समाज का दर्पण है निर्माण राष्ट्र का करता है।
शत – शत प्रणाम, गुरु नमस्कार आशीष आपका पाते हैं।।
माँ सरस्वती………….

क्या धर्म, जाति क्या वर्ण सभी ये तो समाज की रचना है।
हम मानव है केवल मानव, बच्चे भगवान कहाते हैं।।
माँ सरस्वती……

भारत में हमने जन्म लिया, भारत ही धर्म हमारा है।
तन, मन, धन सब न्यौछावर कर हम ‘वन्देमातरम्‌’ गाते हैं। ।
माँ सरस्वती…………

हम को मन की शक्ति देना

हम को मन की शक्ति देगा, मन विजय करें
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें।

भेदभाव अपने दिल से साफ कर सकें
दोस्तों से भूल हो तो माफ कर सकें
झूठ से बचे रहें, सच का दम भरें
दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें॥

मुश्किलें पड़ें तो हम पे इतना कर्म कर
साथ दें तो धर्म का, मरें तो धर्म पर
खुद पे हौसला रहे बदी से न डरे
दूसरों की जय से पहले छुद को जय करें।

सुख के सब साथी

सुख के सब साधी, दुःख में न कोई
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम इक सांचा, दूजा न कोई ।

१.जीवन आनी-जानी छाया
झूठी माया झूठी काया
फिर काहे को सारी उमरिया
पाप की गठरी ढोए

२.ना कुछ तेरा जा कुछ मेरा
ये जय-जोगी-वाला फेरा
राजा हो या रंक सभी का
अंत एक सा होए।

३.बाहर की तू माटी फांके
मन के भीतर क्यों ना झाँके
उजले तन पर मान किया
और मन की मैल ना धोई।

प्रार्थना सभा को रोचक मनभावन कैसे बनाएं

प्रार्थना सभा कार्यक्रम का विद्यालय में अपना ही महत्व है, प्रार्थना सभा कार्यक्रम किसी भी विद्यालय का दर्पण होता है क्योंकि प्रार्थना सभा कार्यक्रम के माध्यम से यह जाना जा सकता है कि विद्यालय का शैक्षिक स्तर कैसा है? अनुशासन कैसा है? जहां तक ​​अनुशासन की बात है तो यह देखा गया है कि जिस विद्यालय में प्रार्थना सभा का कार्यक्रम ठीक से नहीं होता है, उस विद्यालय के छात्रों में अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति होती है। अनुशासन का पाठ पढ़ाने और उनके सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है कि प्रार्थना सभा के कार्यक्रम को रोचक बनाया जाए क्योंकि स्कूल में प्रवेश के बाद छात्र प्रार्थना सभा से पढ़ाई शुरू करता है, यहीं से उसके सर्व- गोल विकास रखा जाना चाहिए। शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित 30 मिनट के कार्यक्रम में बिना किसी बड़े बदलाव के इसे प्रभावी बनाया जा सकता है। इसके लिए इसके संचालन और कुछ हिस्सों में बदलाव करके इसे प्रभावी बनाया जा सकता है, निम्नलिखित उपायों से प्रार्थना सभा को रोचक और ज्ञानवर्धक बनाया जा सकता है।

प्रार्थना सभा कार्यक्रम के संचालन में महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए इसकी जिम्मेदारी विद्यार्थियों को सौंपी जाए। इसके लिए 4 छात्रों का चयन किया जाना चाहिए, इन छात्रों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि 2 छात्रों में नेतृत्व क्षमता होनी चाहिए और दो ऐसे छात्रों का चयन किया जाना चाहिए जो अनुशासित और पढ़ाई में होनहार हों। यदि विद्यालय में सह-शिक्षा है तो चयनित चार प्रार्थना मॉनिटरों में दो लड़कियों का चयन किया जाना चाहिए, एक निश्चित समय अंतराल के बाद अन्य छात्रों को यह जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए।

प्रार्थना मॉनिटर को प्रार्थना के लिए घंटी बजाना, प्रार्थना के लिए छात्रों की कतार बनाना, प्रार्थना कार्यक्रम के अनुसार कक्षावार कक्षा में छात्रों को भेजना आदि जैसे प्रार्थना के पूरे संचालन को करना चाहिए। प्रार्थना सभा में सभी बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कक्षावार कार्यक्रम निर्धारित किया जाए जैसे कक्षा 6 का छात्र प्रतिदिन रोल नंबर के अनुसार अनमोल वचन बोलेगा। कक्षा 7 से 1 तक के छात्र एक प्रेरक कहानी बोलेंगे। आठवीं कक्षा का एक छात्र प्रतिज्ञा बोलेगा। इसी तरह कक्षा 9 से 1 तक के छात्र दैनिक समाचार बताएंगे।

प्रार्थना सभा में सप्ताह में एक बार विद्यार्थियों के नाखून, दांत और पोशाक आदि का निरीक्षण किया जाना चाहिए, यह कार्य चार प्रार्थना मॉनिटरों की देखरेख में किया जाना चाहिए।

Teacher Reposibility

प्रार्थना सभा में शिक्षकों की भूमिका मार्गदर्शक की होनी चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए यह आवश्यक है कि सभी शिक्षक प्रार्थना सभा में सक्रिय रूप से भाग लें, यह प्रत्येक शिक्षक का दायित्व है कि वह समय-समय पर सूचनात्मक जानकारी दें। कार्यक्रम को रोचक बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि समय-समय पर इसके कुछ भाग में परिवर्तन किया जाए। जैसे सामान्य ज्ञान, विज्ञान का ज्ञान, अंग्रेजी शब्दों का ज्ञान, रोचक और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम आदि को एक समय अंतराल के बाद शामिल किया जाना चाहिए।

यदि पिछले दिन किसी कक्षा या किसी विद्यार्थी ने विद्यालय में सराहनीय कार्य किया हो तो उस विद्यार्थी या कक्षा को प्रार्थना सभा के मंच पर आगे बुलाकर प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रोत्साहन के रूप में पुरस्कार दिए जाने चाहिए ताकि अन्य छात्र भी कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित हों।

वर्ष में एक बार गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस पर सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना मॉनिटर प्रदान किया जाना चाहिए ताकि अन्य छात्र प्रार्थना मॉनिटर बनने के लिए प्रेरित हों।

ऐसे छात्रों की इस प्रवृत्ति को खत्म करने के लिए जो अपने संकोची स्वभाव के कारण प्रार्थना कार्यक्रम में बहुत सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते हैं, कक्षा शिक्षक की जिम्मेदारी बनती है कि वह किसी विशेष विषय से संबंधित 1 दिन पहले कक्षा में प्रयास करें। सवालों के जवाब मांगे जाएंगे। प्रार्थना सभा में पूरी कक्षा से प्रश्न पूछने की बजाय चार से पांच बच्चे ही पूछें, ऐसा महीने में दो से तीन बार ही करना चाहिए।

worthy of special attention

प्रार्थना सभा एक ही प्रकार की नहीं होनी चाहिए, उसमें विविधता भी आवश्यक है। क्योंकि एक ही तरह से कोई भी काम करने से सुस्ती आती है और बच्चों की रुचि कम हो जाती है, जैसे शांत पानी के तालाब में कंकड़ डालना, बहता पानी होना कितना अच्छा है। कहने का मतलब है कि यह थोड़े आत्मविश्वास की बात है, थोड़ी सी देशभक्ति की, थोड़ी सोच की, कभी समय के सदुपयोग की बात है, कभी नम्रता की बात होती है, कभी विश्वास की बात होती है, कभी पर्यावरण की बात होती है, कभी पोस्टिक डाइट की बात होती है तो कभी सद्भाव की बात होती है, अगर हम सामूहिक प्रतिज्ञा की बात करें तो इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। नम्रता व्यक्ति को परोपकारी बनाती है, विनम्र व्यक्ति ज्ञानी और गुणी होता है और जानता है कि वास्तव में ज्ञान और गुणों के महत्व की कोई सीमा नहीं है, इस सत्य को जानने वाला छात्र एक आदर्श छात्र के रूप में विकसित होता है। और दूसरों से नफरत करने के बजाय, वह हमेशा दूसरों की मदद करता है |

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