माननीय अतिथिगण, प्रिय मित्रों और प्रिय छात्रों,
आज मैं आपके सामने एक महान कवि, लेखक, शिक्षक, और सामाजिक सुधारक, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में बोलने का सौभाग्य प्राप्त कर रहा हूं। गुरुदेव टैगोर ने अपने साहित्यिक और सामाजिक योगदानों के माध्यम से एक प्रेरणास्त्रोत बने और भारतीय संस्कृति को विश्व में प्रस्तुत किया।
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर 7 मई 1861 को कोलकाता में जन्मे थे। उनके पिता, महार्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर, एक प्रमुख ब्राह्मण समाज सुधारक और कवि थे। टैगोर जी की जीवनी और उनके काव्य उनके परिवार, उनके संस्कृति और उनके समाजिक परिवेश का प्रतिबिम्ब हैं।
गुरुदेव टैगोर को साहित्यिक विद्यालय के रूप में पहचाना जाता हैं। उनकी कविताएं, कहानियां, नाटक और उपन्यास भारतीय साहित्य की महत्त्वपूर्ण धाराओं में से एक हैं। उनकी कविताओं में स्वतंत्रता, प्रकृति के साथ गहरा संबंध और मानवीय भावनाओं की उच्चता का प्रतिबिम्ब हैं। उनके काव्य में रंगमंच के माध्यम से सामाजिक संदेशों को प्रस्तुत किया गया हैं।
गुरुदेव टैगोर जी का और भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र उनके शिक्षा-विद्यालय हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय संस्थान की स्थापना की, जिसे बाद में शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता हैं। इससे पहले भी उन्होंने विशेष रुचि और ध्यान दिया हैं। उन्होंने एक विचारशील और प्रगतिशील शिक्षा प्रणाली की प्रारंभिक रचना की, जिसमें छात्रों के विकास पर बल दिया गया हैं। उनकी शिक्षा दर्शन की मूलभूत सिद्धांतों में मनुष्य की पूर्णता, स्वतंत्रता और अध्यात्मिक विकास का महत्वपूर्ण स्थान हैं।
गुरुदेव टैगोर जी ने भारतीय संस्कृति और तत्वों को विश्व में प्रस्तुत किया हैं। उन्होंने बंगला रचनाओं के अलावा अंग्रेजी भाषा में भी काव्य, कहानियां और नाटक लिखे हैं। उनकी रचनाएं अंग्रेजी में विश्व साहित्य क
ी महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हैं। उन्होंने अपनी काव्य-उपन्यास “गीतांजलि” के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था।
गुरुदेव टैगोर ने अपने जीवन के माध्यम से एक प्रेरणास्त्रोत बने हैं। उन्होंने विश्व को भारतीय संस्कृति, शिक्षा, धर्म, और सहयोग के महत्व को समझाया हैं। उनकी गाथाएं, कविताएं, और नाटक भारतीय और विदेशी नाट्यकारों को प्रेरित करती आई हैं।
आज, हमें गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन को एक दृष्टि में देखना चाहिए – एक साहित्यिक महान, शिक्षाविद, विचारवान, और सामाजिक सुधारक। उनकी कला, उनकी शिक्षा दर्शन, और उनके समाजिक योगदान हमें सभ्यता, सहयोग, और समग्रता की महत्ता को समझने का मौका देते हैं।
आज, हम उनका आदर करते हैं और उनके साथ अपनी प्रतिबद्धता को निभाते हैं। हमें उनकी सोच और उनके संदेशों के प्रति समर्पित रहना चाहिए। हमें उनके अद्वितीय काव्य, गीत, और कहानियों का आनंद लेना चाहिए और उनकी आदर्शों को अपने जीवन में अंतर्निहित करना चाहिए।
आखिर में, मैं यह कहना चाहूंगा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी के साथ हमें गर्व महसूस होना चाहिए। उनकी जीवनी और उनके योगदानों का हमारे जीवन में गहरा प्रभाव होना चाहिए। आइए हम उनके शिक्षा-विद्यालयों को, उनकी काव्य-कृतियों को, और उनके संदेशों को संजोने का प्रतिबद्ध हों और उनके प्रतिनिधित्व में हम आगे बढ़ें।
धन्यवाद! जय हिंद!
