Scholarship विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति को लेकर बड़ी खबर

राजस्थान में विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति को लेकर बड़ी खबर आई है। इससे हजारों विद्यार्थी प्रभावित हो गए।


कोटा.

राजकीय कॉलेजों ( Government Colleges ) में देरी से एडमिशन के कारण इस बार करीब तीन हजार विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप ( Scholarship ) अटक गई है। 

विद्यार्थी आए दिन सामाजिक अधिकारिता विभाग ( Social Empowerment Department ) के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। हर साल सामाजिक अधिकारिता विभाग की ओर से कॉलेज विद्यार्थियों को उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जाती है। यह सामान्य, एससी, एसटी, एसबीसी, ओबीसी, बीपीएल, दिव्यांग, विधवा की संतान को स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है।

 इसके तहत विद्यार्थियों को विभाग के पोर्टल पर समय सीमा के भीतर ऑनलाइन आवेदन करना होता है, लेकिन इस बार कॉलेजों में एडमिशन समय पर नहीं होने से कई विद्यार्थियों को स्कॉलशिप से वंचित होना पड़ा है। 

जबकि विभाग के निदेशालय स्तर पर इस बार उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति की ऑनलाइन आवेदन समय सीमा 30 सितम्बर तक ही तय की गई थी।

पहले व अब

विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2018-19 में इस योजना के तहत 12 हजार 492 विद्यार्थियों ने ऑनलाइन आवेदन किए थे, जबकि इस साल 2019-20 में केवल 10 हजार 122 विद्यार्थी ही ऑनलाइन आवेदन कर पाए हैं। 

पिछले साल विभाग ने दिसम्बर तक ऑनलाइन आवेदन की तिथि तय की थी। इसे बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया गया था।

 इस साल विभाग द्वारा अभी तक ऑनलाइन आवेदन की समय सीमा को नहीं बढ़ाया गया है। 

इस कारण इस योजना में अभी तक केवल 10 हजार विद्यार्थी ही ऑनलाइन आवेदन कर पाए हैं, जबकि करीब 3 हजार विद्यार्थी ऑनलाइन आवेदन से वंचित रह गए हैं।

फीस की रसीद तक नहीं मिली

दरअसल, कॉलेजों में समय पर एडमिशन नहीं होने व कई कॉलेजों में सैमेस्टर सिस्टम से फ ीस ली जाती है, इसलिए छात्रों की पूरी फ ीस की रसीद नहीं मिल पाई है।

 ऐसे में विद्यार्थी तय समय में ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सके हैं।

इनका यह कहना

योजना में अभी तक करीब 10 हजार विद्यार्थी ही ऑनलाइन आवेदन कर पाए हैं। निदेशालय स्तर पर पिछले साल आवेदन की तिथि बढ़ाई गई थी, लेकिन इस बार नहीं बढ़ाई। 

फिलहाल कोटा जिले के पांच कॉलेजों के छात्र ऑनलाइन आवेदन की सीमा बढ़ाने को लेकर ज्ञापन दे चुके हैं।

 उन्हें निदेशालय स्तर पर भेजा गया है। तिथि निदेशालय स्तर से ही बढ़ाई जाएगी।

ओम तोषनीवाल, उपनिदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग

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