RBSE Class 12th HIndi Compulsory Model Paper

उच्च माध्यमिक परीक्षा – 2022 12th अनिवार्य हिन्दी

RBSE Class 12 th Board Exam Model Paper 
मॉडल प्रश्न-पत्र
अनिवार्य हिन्दी
समय : 2 घंटे 45 मिनट पूर्णाक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश –
4. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्नपत्र पर नामांकन अनिवार्यत: लिखें।
2. सभी प्रश्न करने अनिवार्य है।
3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका मे ही लिखे।
4. जिन प्रश्नो मे आंतरिक खंड है, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखे।
 
बहुविकलपी प्रश्न-
प्रश्न 04. निम्नलिखित अपठित गद्‌यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी
उत्तर पुस्तिका में लिखिए ।
साहित्य का स्वरूप कैसा होना चाहिए , इस बात को लेकर पाश्चात्य एवं भारतीय आचार्यों ने काव्य
शास्त्रीय इष्टि से अनेक विचार व्यक्त किए हैं | स्थूल्न रूप से गद्य पद्यात्मक समस्त रचनाओं को साहित्य
के अंतर्गत माना जाता है। इसके भी दो रूप होते हैं -उपयोगी साहित्य और लालित । उपयोगी साहित्य तो
उक्त परिभाषा में सम्मिलित हो जाता है, परंतु ललित साहित्य के लिए इतना जोड़ा जा सकता है कि मनुष्य
के अनुभवों और विचारों की भावात्मक अभिव्यक्ति साहित्य हैं | यह भावात्मक अभिव्यक्ति शब्दबद्ध हो कर
साहित्य को शक्ति प्रदान करती है , जिसके कारण एक व्यक्ति के अनुभव सार्वजनिक बन जाते हैं, और सभी
को प्रभावित करने में समर्थ रहते हैं ।
साहित्य रचना का उद्देश्य मानव समाज का हित-चिंतन करना तथा उसकी चेतना का पोषण करना है |
इससे सिद्ध होता है कि साहित्य लोक-संग्रह के कारण ही उपयोगी माना जाता है | यदि कोई रचना समाज के
लिए उपयोगी नहीं है, तो वह साहित्य की श्रेणी में नहीं आ सकती । वैसे भी बिना उद्देश्य एवं उपयोगिता के
रचा गया साहित्य मात्र कूड़ा-कचरा है जो रद्दी के ढेर में विलीन हो जाता है, लेकिन उपयोगी साहित्य अमर
बन जाता है | इसलिए साहित्य की कसौटी उपयोगिता ही है | मानव समाज के लिए साहित्य की उपयोगिता
इसलिए भी है कि वह मानव की जिज्ञासा- वृति को शांत करता है , ज्ञान की पिपासा को तृप्त करता है,
मस्तिष्क का पोषण करता है | जिस प्रकार पेट की भूख को शांत करने के लिए भोजन आवश्यक है, उसी
प्रकार मस्तिष्क की क्षुधा को मिटाने के लिए साहित्य आवश्यक एवं उपयोगी हैं | साहित्य के द्वारा मानव-
चेतना का प्रसार होने से उसमें शिवत्व की स्थापना होती हैं | हम अपने राष्ट्रीय इतिहास से अपने देश की
गरिमा, अपनी सभ्यता एवं संस्कृति और अपने परंपरागत रीति-रिवाजों, आदर्शों एवं विचारों से परिचित होते हैं
। हमें अपने साहित्य का अनुशीलन करने से पता चलता है की शताब्दियों पूर्व हमारे देश में कैसा आचार-
विचार था, किस प्रादेशिक भाग में कौन सी भाषा बोली जाती थी , कौनसी वेश-भूषा थी, धार्मिक तथा आर्थिक
दशा कैसी थी, और सामाजिक जीवन किस तरह चल रहा था | इन सब बातों का ज्ञान हमें साहित्य के द्वारा
होता है |
 
() उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है- व
(अ) साहित्य के प्रकार (ब) साहित्य की उपयोगिता
(स) साहित्य की आवश्यकता (द) साहित्य का स्वरूप और उद्देश्य
(#) साहित्य का स्वरूप हैं – 4
(अ) प्रबंध व मुक्त काव्य (ब) गद्य-पद्य काव्य
(स) नाटक-उपन्यास (द) निबंध-कहानी
(॥) निम्न में से सही नहीं है –
(अ) साहित्य रचना का उद्देश्य मानव-समाज का हित-चिंतन करना है।
(ब) साहित्य लोक-संग्रह के कारण उपयोगी है ।
(स) साहित्य मानव की जिज्ञासा वृति को शांत नहीं करता है।
(द) उपयोगी साहित्य अमर बन जाता है।
(४५) साहित्य के अनुशीलन से पता चलता है-
(अ) आचार – विचार (ब) वेश-भूषा
(स) धार्मिक-सामाजिक जीवन (द) उपरोक्त सभी
(५) साहित्य की उपयोगिता का कारण है-
(अ) जिज्ञासा-वृति की शांति (ब) ज्ञान-पिपासा की तृष्ति
(स) मस्तिष्क को पोषित (द) उपरोक्त सभी
(५) साहित्य द्वारा मानव चेतना का प्रसार होने से उसमें स्थापना होती है –
(अ) सौंदर्य की (ब) सुख की (स) कामना की (द) शिवत्व की
निम्नलिखित अपठित पद्‌यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर-
पुस्तिका में लिखिए-
नर हो, न निराश करो मन को,
कुछ काम करो, कुछ काम करो,
जग में रह कर कुछ नाम करो,
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो |
समझो, जिसमें यह व्यर्थ न हो,
नर हो, न निराश करो मन को।
संभल्रो कि सुयोग न जाए चला,
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला |
समझो जग को न निरा सपना,
पथ आप प्रशस्त करो अपना |
अखिलेश्वर हैं अवलंबन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
प्रभु ने तुमको कर दान किये,
सब वांछित वस्तु विधान किये |
तुम प्राप्त करो उनको न अहो,
फिर है किस का वह दोष कहो?
समझो न अलभ्य किसी धन को,
नर हो, न निराश करो मन को।
(भा) मनुष्य का जन्म किस उद्देश्य से हुआ है –
(अ) कर्म करने के लिए (ब) जीवन सफल बनाने के लिए
(स) यशस्वी बनने के लिए (द) ईश्वर-भक्ति के लिए
(शा) ईश्वर ने मनुष्य को कौन-सी विशिष्ट चीज़ दी हैं- 4
(अ) चलने के लिए पैर (ब) सोचने के लिए मस्तिष्क (स) बोलने के लिए वाणी (द) काम करने के लिए हाथ
(90) काव्यांश में संदेश निहित हैं-
(अ) प्रगति करने का (ब) काम करने का (स) निराश न होने का (द) जीवन को सार्थक बनाने का
(/) ईश्वर किस का सहारा बनता है – व
(अ) भक्ति करने वालों का (ब) कर्म करने वालों का (स) धर्म करने वालों का (द) प्रगति करने वालों का
(१4) “नर हो, न निराश करो मन को” पंक्ति में अलंकार हैं – 4
(अ) उपमा (ब) रूपक (स) अनुप्रास (4) यमक
(20) ‘अखिलेश्वर’ शब्द के पर्यायवाची शब्द हैं – व
(अ) सुरेश, ईश,परमेश्वर (ब) सुरेश, जगदीश, ईश्वर (स) देवेश, जगन्नाथ, प्रभु (द) परमात्मा, प्रभु, ईश
प्रश्न 2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
| सामान्यतः आपसी बातचीत में भाषा एवं संवाद आदि में जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है,
 
उसे……………५५००००««__न्‍«>_न्‍– भाषा कहते हैं | व
का) देवनागरी लिपि का विकास ………………………-« लिपि से हुआ है। व
() हाँ, एक तुम ही तो अच्छे आदमी हो ।’ वाक्य में………………..- शब्द शक्ति है| व
(५) जिस शब्द शक्ति के द्वारा शब्द के मुख्य अर्थ का बोध होता है | उसे…………………….- शब्द
शक्ति कहते हैं ।
(भे “दिन जल्दी-जल्दी ढल्तता है ।’ पंक्ति में.. « अलंकार है ।
(४). “चरण-कमल बंदौ हरि राई” पंक्ति में… के कारण..
   
प्रश्न 3. निम्नलिखित अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिये –
() निम्न पारिभाषिक शब्दों के अर्थ लिखिए- %+४-4
(0) एछाभी………………. ००००० >नन्‍>+- (8) ६काएंध……………..००-००नत>न-
कं) ‘संकेत’ शब्द के लिए पारिभाषिक शब्द लिखिए-
() बाजार का जादू किस पर नहीं चलता ?
(५) फीचर के कोई चार प्रकार बताइए |
(णे यशोधर बाबू की पत्नी उनके किनारे से चिढ़ती थी ?
(श) सिल्वर वेडिंग कहानी किस दवंद्व पर आधारित है ?
(शी) लेखक की मां उदास और निराश क्‍यों थी? ‘जूझ’ पाठ के आधार पर बताइए |
(शा) जूझ पाठ में जंगली सूअर किसके लिए कहा गया है ?
(0 जूझ पाठ का लेखक किस कक्षा में जाकर बैठने लगा था ?
(0 रघुवीर सहाय की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए ।
(8) जैनेंद्र कुमार का जन्म कब और कहां हुआ ?
+ + + + + + + + ++ ++
खड – ब
निम्नलिखित लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 40 शब्दों में दीजिए ।
प्रश्न 4 जन संचार माध्यमों की कोई दो विशेषताएँ लिखिए । 2
प्रश्न 5. इन्टरनेट पत्रकारिता किसे कहते हैं ? 2
प्रश्न 6. ‘बठती मंहगाई की मार’ विषय पर एक संक्षिप्त आलेख तैयार कीजिए | 2
प्रश्न 7. ‘स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने’ ‘उषा’ कविता की इन पंक्तिओं का आशय
स्पष्ट किजिए | 2
प्रशन 8. “उसको उतना ही पाते है,खुद को जितना खो ले है ।” फिराक गोरखपुरी की इस पंक्ति का आशय
स्पष्ट कीजिए । 2
प्रश्न 9. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए | 2
प्रश्न 0. शिरीष के फूल के माध्यम से लेखक ने संघर्षशीलता एवं जिजीविषा की जो व्यंजना की है, उसे
स्पष्ट कीजिए | 2
प्रश्न . भावना के स्थान पर बुद्धि के हावी होने का क्या आशय है ? ‘नमक’ कहानी के आधार पर
लिखिए । 2
प्रश्त 2. किशन दा के व्यक्तित्व की छाप यशोधर बाबु के जीवन में झलकती है ? समझाइए | 2
खण्ड – स
निम्नलिखित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तः लगभग 250 शब्दों में दीजिए –
 
प्रश्न 3. “कविता के बहाने’ कविता में कवि ने कविता रचना को किसके समकक्ष बताया है और कैसे ?
अथवा
‘पतंग’ कविता में बिम्बों के द्वारा काव्य-सौंदर्य को प्रकट किया गया है | स्पष्ट कीजिए | 3
प्रश्न 4. ‘काले मेघा पानी दे’ संस्मरण में व्यक्त लेखक की जीजी का चरित्र-चित्रण कीजिए | 3
अथवा
 
“पहलवान की ढोलक’ कहानी में सामाजिक विसंगतियों को प्रकट करने में लेखक कहाँ तक सफल हुआ ?
बताइए । 3
प्रश्त 5. “नवीन पीढ़ी और नवीन जीवन मूल्य, पुराणी पीढ़ी और प्राचीन जीवन मूल्य, इन दोनों के बीच
सदैव टकराहट चलती रहती है |” ‘सिल्वर वेडिंग” कहानी के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिए | 3
अथवा
‘जूझ” आत्मकथात्मक अंश की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए | 3
प्रश्न 6. कुंवर नारायण का कवि परिचय लिखिए | 3
अथवा
हजारी प्रसाद द्विवेदी का लेखक परिचय लिखिए | 3
खण्ड – द
प्रश्न 47. निम्नलिखित पद्‌यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए – 2+ 456
ऊपर से ठीक-ठाक
पर अंदर से
ना तो उसमें कसाव था
न ताकत |
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा-
“क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा ?”
अथवा
सचमुच मुझे दंड दो कि भूलूँ मैं भूलूँ मैं
तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ में
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूं मैं
इसलिए कि तुम से ही परिवेष्टित अच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नहीं जाता है |
नहीं सहा जाता है ।
प्रश्न 8 निम्नल्रिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए – 2+456
जीवन के दूसरे परिच्छेद में सुख की अपेक्षा दुख ही अधिक है | जब उसने गेंहूँए रंग और बटिया जैसे
मुख वाली पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सांस और जिठानियों ने ओंठ बिचकाकर कर उपेक्षा
प्रकट की | उचित भी था, क्‍योंकि सास तीन-तीन कमाऊ वीरों की विधात्री बनकर मचिया के ऊपर विराजमान
पुरखिन के पद पर अभिषिक्‍त हो चुकी थी और दोनों जिठानियाँ काक-भुशंडी जैसे काले लालों की क्रमबद्ध
सृष्टि करके इस पद के लिए उम्मीदवार थी | छोटी बहू के लिक छोड़कर चलने के कारण उसे दंड मिलना
आवश्यक हो गया |
अथवा
बाजार को सार्थकता भी वही मनुष्य देता है जो जानता है कि वह क्‍या चाहता है और जो नहीं जानते
कि वे क्या चाहते हैं, अपनी ‘पर्चेजिंग पावर’ के गर्व में अपने पैसे से केवल एक विनाशक शक्ति- शैतानी
शक्ति, व्यंग की शक्ति ही बाजार को देते हैं | न तो वे बाजार के लाभ उठा सकते हैं, न उस बाजार को सच्चा
लाभ दे सकते हैं | वे लोग बाजार का बाजारूपन बढ़ाते हैं । जिसका मतलब है कि कपट बढ़ाते हैं। कपट की
बढ़ती का अर्थ परस्पर सद्भाव की घटी ।
 
प्रश्न 9. सचिव राज्यस्तरीय पाठ्यपुस्तक मंडल की और से एक निविदा सुचना का प्रारूप तैयार कीजिए,
जिसमे फर्नीचर और स्टेशनरी क्रय करने का विवरण हो | 4
अथवा
मुख्य सचिव राजस्थान सरकार शासन सचिवालय की और से सभी सरकारी विभागों के आदेश राजभाषा हिन्दी
में प्रकाशित करने के समबन्धित अधिसूचना का प्रारूप लिखिए ।
4
प्रश्न 20. निम्न लिखित विषयों में से किसी एक विषय पर सारगर्शित निबंध लिखिए | (शब्द सीमा 300) 5
4. राजस्थान संस्कृति के रंग
2. मोबाइल फोन – वरदान या अभिशाप
3. प्लास्टिक थैली – पर्यावरण की दुश्मन
4. कोरोना का कहर : 2 वीं सदी की महामारी
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