भगवान बचाए या इंसान
*विडम्बना देखिये, शिक्षा जगत में शिक्षा को छोड़कर कैसे कैसे आदेश निकलने लगे है अरे भले मानुषों कभी शिक्षा क्षेत्र की भी बात कर लो,*
*हम शिक्षक है, हमें यह क्या बनाकर छोड़ दिया है ?*
*मीडिया भी उस चीज़ के लिये शिक्षकों के पीछे पड़ा है जिसका शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है,*
हा
*दूधवाला दूषित दूध दे तो शिक्षक दोषी*
*लाइन में लगे बच्चे धक्का लगा दे, गर्म खाद्य सामग्री से हाथ पांव जल जावे तो शिक्षक दोषी*
*अन्नाज में कीड़े इली आदि हो तो दोषी शिक्षक*
*बच्चे दूध नहीं पीवे और पिलाने की कोशिश करे तो दोषी शिक्षक*
हा
*अनेक स्कूल में पीने को पानी नहीं है लेकिन बर्तन धुले हुए नहीं है दोषी शिक्षक*
*दूध वाला दूध नहीं ला रहा है दोषी शिक्षक*
*दूध गर्म है दोषी शिक्षक, दूध ठंडा है दोषी शिक्षक*
पोषाहार की वजह से अधिकांश पोषाहार प्रभारी एवं प्रधानाध्यापक को नोटिस मिले नोकरी खतरे में ओर मानसिक प्रताड़ित हुए*
*शिक्षक को खुद के खाने के लिए नजदीक हरी सब्जी उपलब्ध नहीं है लेकिन बच्चों के आलू बन गये है दोषी शिक्षक*
*झंडा कीचड़ की वजह से गिर गया, बच्चों ने सही जगह भी रख दिया लेकिन दोषी तो शिक्षक ही है*
*इस तरह के झमेलों में उलझा रहने के कारण, पढ़ाने की तीव्र इच्छा होते हुए भी, कुछ भी नहीं पढ़ा पा रहा है बेचारा दोषी शिक्षक*
*इस पोषाहार ने समाज की नजरों में शिक्षकों की छवि को गिराने का काम किया है*
अपनी अपनी स्कूल के बच्चों को प्रेरित कीजिये और कहिए कि हम शिक्षक पढ़ा नहीं पा रहे है अगर पढ़ना चाहते हो तो अपने माता,पिता, दादा, दादी, भाई व अन्य रिश्तेदारों के माध्यम से अपने MLA के पास यह संदेश पहुंचाओ कि सरकारी विद्यालयों में यह पोषाहार व दूध आदि बंद करो,
इसकी जगह एक निश्चित राशि (20,25,30,35 रुपये प्रतिदिन) हमारे बच्चों के खाते में आ जानी चाहिए(जैसे कि टांसपोर्ट वाउचर व छात्रवृत्ति आदि की राशि आती ही है),
उस राशि के बल पर हम घर से ही खाना बनाकर बच्चों के साथ भेज देंगे जिसे शिक्षक चाहे तो जांच ले या न जांचे तो भी चलेगा।
*हम शिक्षक अगर ठान ले तो जनता इस सरकार को बाध्य कर देगी कि यह झमेला बंद करना ही पड़ेगा*
*अगर हम जनता को यह कहे कि आप पोषाहार व दूध बंद करवाने के लिए MLA आदि को कहो तो वे नहीं मानेंगे लेकिन हम यह कहे कि इसकी जगह आप एक निश्चित राशि की मांग कर लो तो जनता मान जायेगी
*इससे एक बड़ा फायदा यह भी होगा कि कोई भी बच्चा घर पर भी नहीं रहेगा क्योंकि अगर वह घर रहा तो उसे उस दिन की निश्चित राशि से वंचित रहना पड़ेगा, इस तरह से ड्राप आउट व अनामांकन की समस्या का भी अंत हो जायेगा*
*हमें ठानना होगा, हम कर सकते है, अब पानी सर के ऊपर से गुजरने लगा है*
शिक्षा को बचाओ ।
शिक्षक को बचाओ।